तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है॥
जहाँ भी जाऊँ ये लगता है तेरी महफिल है
ये आसमान ये बादल ये रास्ते ये हवा
हर एक चीज़ है अपनी जगह ठिकाने से
कई दिनों से शिकायत नहीं ज़माने से
ये ज़िन्दगी है सफर तू सफर की मंजिल है
हर एक शै है मुहब्बत के नूर से रौशन
हर एक शै है मुहब्ब्बत के नूर से रौशन
ये रौशनी जो न हो ज़िन्दगी अधूरी है
रहेवाफा में कोई हमसफ़र ज़रूरी है
ये रास्ता कहीं तनहा कटे तो मुश्किल है
जहाँ भी जाऊं ये लगता है तेरी महफिल है॥
हर एक फूल किसी याद सा महकता है
तेरे ख़याल से जागी हुई फिजाएं हैं
ये सब्ज़ पेड़ हैं या प्यार की दुआएं हैं
तू पास हो की न हो फ़िर भी तू मुकाबिल है
जहाँ भी जाऊँ ये लगता है तेरी महफिल है
तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है
Friday, February 27, 2009
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