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Friday, March 20, 2009

सज़ा

ऐसी सज़ा देती हवा,
तन्हाई भी तन्हा नहीं

ऐसी सज़ा देती हवा
तन्हाई भी तन्हा नहीं
film : Gulal

नींदें भी अब
सोने गयीं
रातों को भी परवाह नहीं

ऐसे में बारिश की बूंदों से अपनी साँसों को सहला भी दो
बढ़ते हवाओं के झोंकों से दिल को नगमा कोई ला भी दो..
पलकों की कोरों पे बैठी नमी को धीमे से पिघला भी दो

ये ज़िन्दगी, ऐसी ही थी,
तुमने कभी जाना नहीं

जीवन की राहों में आना या जाना बता के नहीं होता है
जाते कहीं है मगर जानते न कि आना वहीँ होता है
खोने की जिद में ये क्यूँ भूलते हो कि पाना भी होता है

वो पल अभी वैसा ही है
छोड़ा था जो जैसा वहीँ

ऐसी सज़ा देती हवा
तन्हाई भी तन्हा नहीं
नींदें भी अब
सोने गयीं
रातों को भी परवाह नहीं

Friday, February 27, 2009

तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है

तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है॥
जहाँ भी जाऊँ ये लगता है तेरी महफिल है

ये आसमान ये बादल ये रास्ते ये हवा
हर एक चीज़ है अपनी जगह ठिकाने से
कई दिनों से शिकायत नहीं ज़माने से
ये ज़िन्दगी है सफर तू सफर की मंजिल है


हर एक शै है मुहब्बत के नूर से रौशन
हर एक शै है मुहब्ब्बत के नूर से रौशन
ये रौशनी जो न हो ज़िन्दगी अधूरी है
रहेवाफा में कोई हमसफ़र ज़रूरी है
ये रास्ता कहीं तनहा कटे तो मुश्किल है
जहाँ भी जाऊं ये लगता है तेरी महफिल है॥

हर एक फूल किसी याद सा महकता है
तेरे ख़याल से जागी हुई फिजाएं हैं
ये सब्ज़ पेड़ हैं या प्यार की दुआएं हैं
तू पास हो की न हो फ़िर भी तू मुकाबिल है
जहाँ भी जाऊँ ये लगता है तेरी महफिल है
तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है