Friday, March 20, 2009

सज़ा

ऐसी सज़ा देती हवा,
तन्हाई भी तन्हा नहीं

ऐसी सज़ा देती हवा
तन्हाई भी तन्हा नहीं
film : Gulal

नींदें भी अब
सोने गयीं
रातों को भी परवाह नहीं

ऐसे में बारिश की बूंदों से अपनी साँसों को सहला भी दो
बढ़ते हवाओं के झोंकों से दिल को नगमा कोई ला भी दो..
पलकों की कोरों पे बैठी नमी को धीमे से पिघला भी दो

ये ज़िन्दगी, ऐसी ही थी,
तुमने कभी जाना नहीं

जीवन की राहों में आना या जाना बता के नहीं होता है
जाते कहीं है मगर जानते न कि आना वहीँ होता है
खोने की जिद में ये क्यूँ भूलते हो कि पाना भी होता है

वो पल अभी वैसा ही है
छोड़ा था जो जैसा वहीँ

ऐसी सज़ा देती हवा
तन्हाई भी तन्हा नहीं
नींदें भी अब
सोने गयीं
रातों को भी परवाह नहीं