तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है॥
जहाँ भी जाऊँ ये लगता है तेरी महफिल है
ये आसमान ये बादल ये रास्ते ये हवा
हर एक चीज़ है अपनी जगह ठिकाने से
कई दिनों से शिकायत नहीं ज़माने से
ये ज़िन्दगी है सफर तू सफर की मंजिल है
हर एक शै है मुहब्बत के नूर से रौशन
हर एक शै है मुहब्ब्बत के नूर से रौशन
ये रौशनी जो न हो ज़िन्दगी अधूरी है
रहेवाफा में कोई हमसफ़र ज़रूरी है
ये रास्ता कहीं तनहा कटे तो मुश्किल है
जहाँ भी जाऊं ये लगता है तेरी महफिल है॥
हर एक फूल किसी याद सा महकता है
तेरे ख़याल से जागी हुई फिजाएं हैं
ये सब्ज़ पेड़ हैं या प्यार की दुआएं हैं
तू पास हो की न हो फ़िर भी तू मुकाबिल है
जहाँ भी जाऊँ ये लगता है तेरी महफिल है
तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteaapka blog to bilkul alag sa hai, padh kar maja aaya, jald hi fir aaoonga.
ReplyDelete------------------------"VISHAL"
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है।
ReplyDeleteसुन्दर रचना के लिए शुभकामनाएं।
लिखते रहिए, लिखने वालों की मनज़िल यही है।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकून पहुंचाती है।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
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narayan narayan
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